मीरा के पद कवयित्री परिचय- मीराबाई का जन्म १५०३ में जोधपुर के चोकड़ी गाँव में हुआ। उनकी शादी मेवाड़ के कुँवर भोजराज से १३ वर्ष की उम्र में हुई। बचपन से कृष्ण भगवान की भक्ति करती रही। उनका पूरा जीवन दुख में बीता। भौतिक जीवन से निराश मीरा ने राज-परिवार छोड़ दिया और वृंदावन में भजन-किर्तन करते हुए जीवन बीताने लगी। मीरा की मृत्यु को लेकर भी अपवाद हैं। उनकी मृत्यु को लेकर ऐसे माना जाता है कि मीरा अपने जीवन के आखरी समय कृष्ण भगवान के मंदिर में प्रवेश करती है जो पुन: उस मंदिर से वापस नहीं आती। उनके वस्त्र कृष्ण भगवान की मूर्ति पर टिके हुए थे। मतलब मीरा कृष्ण भगवान की मूर्ति में समा गई। ...
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