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Sujan Bhagat/PUC 2nd year (Sahitya Gaurav) Karnataka Board/Summary/Question & Answer (सुजान भगत ...सारांश)

                                                                                 सुजान भगत

                                                                                                प्रेमचंद

लेखक का जीवन परिचय :

* मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 ई. को लमही नामक गाँव में हु।

* उपनाम - उपन्यास सम्राट

* पिता का नाम : अजायबराय

* माता का नाम : आनंदी देवी

* नवाबराय के नाम से उर्दू में लेखन

* प्रेमचंद के नाम से हिंदी में लेखन

* 300 के आसपास कहानियाँ ‘मानसरोवर’ में संकलित

* मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 को हुई।

* उपन्यास : गोदान, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कर्मभूमि, गबन ।

* नाटक     : कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी।

* निबंध      : साहित्य का उद्देश्य, स्वराज्य के फ़ायदे, कुछ विचार।


भावार्थ :

‘सुजान भगत’ इस कहानी में लेखक ने सुजान नामक किसान के चरित्र-चित्रण द्वारा कठिन परिश्रम से ही मानव को धन-दौलत और प्रतीष्ठा प्राप्त होने की बात कही है।

सीधे-सादे किसान घर में धन आते ही वे भोग-विलास में न लगकर धर्म और कीर्ति की ओर झुकते हैं। ऐसे ही एक किसान सुजान भगत थे। सुजान भगत के अथक परिश्रम से उसके घर में कंचन बरस रहा था। जिससे सुजान का भी मन धर्म की ओर झुक गया। सुजान के घर साधु-संतों का सत्कार और बड़े-बड़े हाकिमों के लिए ठहरने व खान-पान की व्यवस्था होती। सुजान भगत ने कड़ी मेहनत और परिश्रम से वह काम कर दिखाया जो गाँव में किसी ने न किया था। इतना धन पाकर भी वह सबके सामने सिर झुकाये रहता ताकि किसी को ऐसा ना लगे कि उसे धन पाकर घमंड आ गया है।

सुजान के मन में गया के यात्रियों को देखकर गया की यात्रा करने का विचार आया। दोनों पति-पत्नी ने गया की यात्रा की। यात्रा से लौटने पर घर में यज्ञ और ब्रह्मभोज की व्यवस्था की गई। सारे रिश्तेदार तथा आस-पास के गाँवों के लोगों को आमंत्रित किया गया। सुजान अब सुजान भगत बन गया था। चारों ओर उसकी प्रशंसा हो रही थी। सुजान भगत के आचार-विचार में बदलाव हुआ। उसने जड़ जगत से निकलर चेतना जगत में प्रवेश किया। उसका मन दान-धर्म की ओर झुक गया।

एक दिन द्वार पर भिक्षुक आकर भीख माँग रहा था। लेकिन घर से कोई भीख लाता न देखकर सुजान गुस्सा चिल्लाता है। सुजान का सबको दान करना देखकर उसके परिवार वाले और सुजान में मतभेद शुरु होता है। सुजान उम्र बढ़ते खेत के काम करना कम करता है। उसकी जगह खेत के सारे काम और घर की जिम्मेदारी अब बड़ा बेटा भोला सँभाल रहा था। जिससे घर में उसका मान-सम्मान धीरे-धीरे कम हो रहा था।

सुजान अब तक घर का स्वामी था लेकिन परिस्थिति उलटफ़ेर हो गई थी। उसने थोड़े दिन काम करना बंद किया, तो उसकी घर में इज्ज़त धीरे-धीरे कम होने लगी। उसे लगता था कि उसके बेटे उसका आदर करते हैं लेकिन यह उसका भ्रम था। उसकी पत्नी भी बेटों का ही साथ देने लगी थी। अपने ही घर में द्वार के कुत्ते जैसी अपनी हालत देखकर वह फ़िर से दिन-रात मेहनत करने लगा ताकि उसे अपना खोया हुआ आधिकार वापस प्राप्त हो। बैलों का चारा काटना, खेत में हल चलाना, डाँड़ फ़ेंकना तथा जानवरों को सहलाना ये सभी काम वह पहले से भी ज़्यादा उत्साह से करने लगा। पत्नी और दोनों बेटों उसे काम करता देखकर आश्चर्य में पड़ जाते। दोनों बेटों को सुजान के बराबर काम करना नहीं हो रहा था। 

सुजान की मेहनत से दुबारा उसकी खेती से सोना उगल रहा था। चैत के महीने में खलिहानों में सतयुग का राज था। बखारी में अनाज रखने की जगह नहीं थी। कितने ही भिक्षुक अनाज के लिए उसे घेरे हुए थे। जो भिक्षुक कुछ महीने पहले बिना अनाज के वापस गए थे, उन्हें सुजान अपने हाथों से उठा सके उतना अनाज गठरी भरकर देने लगे। इस तरह फ़िर से एक बार उसके द्वार पर साधु-संत आसन जमाये देखे जाने लगे। 

उसने आठ महीने के निरंतर परिश्रम से खोया हुआ अधिकार वापस पाया था। सुजान की इस मेहनत ने  साबित किया कि मानव जीवन में लाग बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है। इसी लाग ने उसे दुबारा जवान कर दिया था। सुजान ने गर्व से भोला को कहा कि कोई भी भिक्षुक द्वार से खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए। कुछ समय पहले अपने पिताजी को रोकने वाला भोला आज उसके सामने सिर झुकाये खड़ा था। कड़ी मेहनत और लगन से बूढ़े पिता ने जवान बेटे को परास्त कर दिया।   

मुहावरे व वाक्य प्रयोग :

* कंचन बरसना - आमदनी बढ़ना

वाक्य - राजू को अच्छी नौकरी मिलने से उसके घर में कंचन बरसने लगा

* फ़ूले न समाना - अत्यधिक खुश होना।

वाक्य - मोहन को काम में तरक्की हुई तो वह फ़ूले नहीं समाया।

* मुँह की खाना - हार जाना।

वाक्य - बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने भारत क्रिकेट टीम से मुँह की खाई।

* पत-पानी बनाना - सम्मान बढ़ाना।

वाक्य - रमेश के दिन-रात मेहनत करने से उसका पत-पानी बन गया।

* दम न लेना - कठीन परिश्रम करना

वाक्य - मोहन ने अपने सिर पर चढ़ा कर्ज़ा उतारने तक दम न लिया।

* कमर सीधी करना - आराम करना

वाक्य - दिनभर कठीन परिश्रम करने पर रात में किसान कमर सिधी करते हैं।

* तिनक जाना - क्रोधित होना

वाक्य - संदीप छोटी-छोटी बातों पर तिनक जाते हैं।

* नाम जगाना - कीर्ति पाना

वाक्य - मोहन ने दीन-दुखियों की मदद करके अपना नाम जगाया।


I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. सीधे-सादे किसान धन आते ही किस ओर झुकते हैं?

उत्तर : सीधे-सादे किसान धन आते ही धर्म और कीर्ति की ओर झुक जाते हैं।

2. कानूनगो इलाके में आते तो किसके चौपाल में ठहरते?

उत्तर : कानूनगो इलाके में आते तो सुजान महतो के चौपाल में ठहरते।

3. सुजान ने गाँव में क्या बनवाया?

उत्तर : सुजान ने गाँव में पक्का कुआँ बनवाया।

4. सुजान की पत्नी का नाम क्या है?

उत्तर : सुजान की पत्नी का नाम बुलाकी है।

5. सुजान के बड़े बेटे का नाम लिखिए।

उत्तर : सुजान के बड़े बेटे का नाम भोला है।

6. सुजान के छोटे बेटे का नाम क्या है?

उत्तर : सुजान के छोटे बेटे का नाम शंकर है।

7. कौन द्वार पर आकर चिल्लाने लगा?

उत्तर : भिखमंगा / भिक्षुक द्वार पर आकर चिल्लाने लगा।

8. बुढ़ापे में आदमी की क्या मारी जाती है?

उत्तर : बुढ़ापे में आदमी की मत मारी जाती है।

9. घर में किसका राज होता है?

उत्तर : घर में कमाने वाले का राज होता है।

10. कटिया का ढेर देखकर कौन दंग रह गयी?

उत्तर : कुटिया का ढेर देखकर बुलाकी दंग रह गई।

11. सुजान की गोद में सिर रखें किन्हें अकथनीय सुख मिल रहा था?

उत्तर : सुजान की गोद में सिर रखकर बैलों को अकथनीय सुख मिल रहा था।

12. भिक्षुक के गाँव का नाम लिखिए।

उत्तर : भिक्षुक के गाँव का नाम अमोला है।


II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

1. सुजान महतो की संपत्ति बढ़ी तो क्या करने लगा?

उत्तर- सुजान महतो की संपत्ति बढ़ी तो वह दान धर्म और कीर्ति की ओर झुकने लगा। साधु-संतों का सत्कार होने लगा, द्वार पर धूनी जलनी लगी, कानूनगो, हेड कांस्टेबल, थानेदार और शिक्षा-विभाग के अफ़सर के लिए आसन लगता था। घर के चौपाल में भजन-भाव होता था। सत्संग होता था। लोगों को ऐसा न लगे कि धन पाकर घमंड हो गया इसलिए सिर झुकाए सबका आदर सत्कार करता। कुएँ का विवाह, यज्ञ तथा ब्रह्मभोज हुआ। 

2. घर में सुजान भगत का अनादर कैसे हुआ?

उत्तर-सुजान महतो अब भगत बन गया था और भगत के विचार और तौर-तरीके एकदम अलग होते हैं। वह जड़-जगत से अलग होकर चेतना-जगत में प्रवेश कर चुका था। वह खेत-खलिहान न जाकर उसका मन भजन किर्तन की ओर बढ़ने लगा। इस कारण घर की जिम्मेदारी बड़े बेटे भोला के पास आ गयी। सुजान जब तक काम कर रहा था उस वक्त तक उसकी घर में इज्जत थी। लेकिन अब उसका घर के सदस्यों द्वारा अनादर हो रहा था। अनेक घर की महत्वपूर्ण बातों के लिए भगत की सलाह नहीं ली जाती थी। सभी मामलों पर बुलाकी और दोनों बेटे ही विचार कर लेते। वह किसी को दान देने आगे आता तो उसके हाथों से अनाज छीन लिया जाता था। बेटे तथा पत्नी उसके साथ ऊँची आवाज़ में बातें करने लगी जिससे उसका अनादर होने लगा।

 


 




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