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Mera chota-sa niji pustakalay Class-9 NCERT Solutions (मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय CBSE Question answer important)

                                                             मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय

                                                                                                धर्मवीर भारती

बोध - प्रश्न

1.  लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे?

उत्तर- लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन हिचक रहे थे क्योंकि लेखक को तीन बार हार्ट-अटैक आने से डॉक्टरों ने घोषित किया था कि प्राण नहीं रहें। परंतु डॉक्टर बोर्जेस ने हिम्मत न हारते हुए नौ सौ वॉल्टस के झटके देकर प्राण वापस लाए थे। इस भयानक प्रयोग में हार्ट का साठ प्रतिशत भाग नष्ट हो गया और सिर्फ़ चालीस प्रतिशत बचा। उसमें भी तीन अवरोध थे। ऐसे में ओपन ऑपरेशन करने से हार्ट रिवाइव न होने का खतरा था। 

2. ‘किताबों वाले कमरे’ में रहने के पीछे लेखक के मन की क्या भावना थी?

उत्तर- लेखक को डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने के कुछ दिन पहले घर में विश्राम करने की सलाह दी थी। ऐसे में घर लाने के बाद उनकी जिद्द थी कि उनको किताबों वाले कमरे में ही रखा जाए। उनकी इसके पीछे भावना रही होगी कि जिन किताबों के साथ उनकी पूरी जिंदगी गुज़र गई, उन हज़ारों किताबों के बीच वे अपने आप को भरा-भरासा महसूस करते थे। उनके प्राण मानो चालीस-पचास सालों में इकट्ठे हुईं इन हज़ारों किताबों में बसे हो। अपने ऐसे कठीन समय में उन सभी महान साहित्यकारों का आशीर्वाद पाना चाहते हो; जिनके कारण वे हर मुसीबत से बाहर आए। 

3. लेखक के घर कौन-कौन-सी पत्रिकाएँ आती थीं ?

उत्तर- लेखक के पिताजी अच्छी-खासी सरकारी नौकरी करते थे। जिसके चलते उनके घर में अनेक पत्र-पत्रिकाएँ आती थीं। जिनमें आर्यमित्र साप्ताहिक, वेदोदम, सरस्वती और गृहिणी थीं। इसके अलावा लेखक के लिए बालसखा और चमचम भी आती थीं। जिनमें लेखक को पसंद आएँ ऐसी परियों, राजकुमारों, दानवों और सुंदरी राजकन्याओं की कहानियाँ और रेखाचित्र होते थे।

4. लेखक को किताबें पढ़ने व सहेजने का शौक कैसे लगा ?

उत्तर-  लेखक के घर बचपन से ही अनेक पत्र-पत्रिकाएँ आती थीं, जिससे लेखक को उन्हें पढ़ने की चाट बचपन से ही लगी। उठते-बैठते, खाना-खाते समय भी पढ़ते रहते थे। पढ़ने के साथ-साथ उन्हें किताबें सहेजने का शौक भी लग गया। अंग्रेजी में अधिक नंबर आने पर स्कूल से दो किताबें इनाम में मिली। पिताजी ने अलमारी से अपनी सारी चीज़े हटाकर एक खाना खाली किया और उसमें उन दो किताबों को रखने के लिए जगह दी। तब से लेखक ने अनेक किताबें सहजकर रख दी। 

5. माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर चिंतित क्यों रहती थी?

उत्तर-  लेखक स्कूली किताबें कम पढ़ते थे और घर में आईं पत्र-पत्रिकाएँ अधिक पढ़ते थे। वे ‘सत्यार्थ प्रकाश’ को पढ़कर दयानंद सरस्वती की जीवनी से प्रभावित हुए थे। प्रतिमाएँ भगवान न होना, घर त्यागकर जंगलों, गुफ़ाओं, तीर्थों तथा हिमशिखरों पर साधुओं के बीच घुमना और हर जगह ढूँढ़ना कि भगवान क्या है? सत्य क्या है? ऐसी अनेक बातें पढ़ना उनके बालमन को रोमांचित करती थीं। माँ इन सब बातों से चिंतित रहती थी कि यह पास कैसे होगा! कहीं घर छोड़कर भाग गया और संन्यासी बन गया तो? लेखक के भविष्य को लेकर चिंता उनको सताती थी।

6. स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेज़ी की दोनों पुस्तकों ने किस प्नकार लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोल दिए?

उत्तर- लेखक को स्कूल में अंग्रेज़ी की दो पुस्तकें मिली। पहली किताब में दो छोटे बच्चे बागों तथा कुंजों में घोसलों की खोज़ में निकलते हैं, इसके बहाने उन्हें पक्षियों की जातियाँ, उनकी बोलियाँ तथा उनकी आदतों की जानकारी मिलती है। तो दूसरी किताब ‘ट्रस्टी द रग’ में जहाज़ों के प्रकार, नाविकों की जिंदगी के  अलावा द्वीप, ह्वेल तथा शार्क के बारे में भी जानकारी मिलती है। इन दो किताबों ने पक्षियों से भरे आकाश और रहस्यों से भरे समुद्र की जानकारी से लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोइल दिए।

7. ‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है’- पिता के इस कथन से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?

उत्तर- लेखक को स्कूल से इनाम में मिली दो अंग्रेज़ी किताबों को पिताजी ने अलमारी के एक कोने से चीज़े खाली करके रखते हुए कहा, ‘‘आज से यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है।” पिताजी के इस कथन ने लेखक में किताबों के प्रति रुची निर्माण की साथ ही किताबों को इकट्ठा करने की सनक भी भर दी। जिससे इस लाइब्रेरी का विस्तार होता गया। पिताजी का यह कथन उनके लिए प्रेरणादायी बना जिसके चलते उन्होंने किताबों को ही अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया। किताबों के साथ लेखक का रिश्ता इतना गहरा होता गया कि अपनी बीमारी की हालत में भी उन्हें इन किताबों को देखकर सुकून मिलता था।  

8. लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?

उत्तर- लेखक ने पहली पुस्तक शरतचंद्र चटोपाध्याय की ‘देवदास’ खरीदी। उसी समय सीनेमा घर में नई फ़िल्म लगी थी ‘देवदास।’ इस फ़िल्म की काफ़ी चर्चा थी। इसके गाने भी फ़िल्म आने के पहले ही गुनगुनाए जाते थे। उसके मन में इस फ़िल्म को देखने की बहुत इच्छा हो रही थी। अपनी इंटरमीडिएट की पुरानी किताबें बेचकर बी.ए.की नई किताबें खरीदकर भी उसके पास दो रुपये बच गए थे। वह माँ की सहमति से बचे दो रुपये लेकर उस फ़िल्म को देखने गया। पहला शो छुटने में समय था इसलिए वह पास की पुस्तक दुकान में चला गया। दुकान के काउंटर पर ‘देवदास’ किताब रखी थी। लेखक ने उस किताब को उलट-पलटकर देखा। उसका मन पलट गया। उसने डेढ़ रुपये की फ़िल्म देखने की बजाय दस आने की देवदास किताब खरीदी। बचे एक रुपया छह आने माँ के हाथ में थमा दिए।

9. इन कृतियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ- का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक को अस्पताल से घर लाने के बाद उनकी इच्छा थी कि उन्हें अपनी लाइब्रेरी में ही रखा जाए। उस लाइब्रेरी की अलमारियों में भरी किताबों को देखकर उनको अकेलेपन का अनुभव नहीं होता था। उस लाइब्रेरी में हज़ारों पुस्तकें थीं जिनके साथ उनकी जिंदगी जुड़ी हुई थी। अंग्रेज़ी तथा हिंदी के उन महान साहित्यकारों की कृतियों को देखते ही उनको ऐसा अनुभव होता हो जैसे ये महापुरुष उनके आस-पास ही उस कमरे में हैं। जिसके कारण वे अपने को भरा-भरा-सा महसूस करते हो।






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