Skip to main content

Kabeer ki Sakhi Class 10 NCERT (कबीर की साखी Summary, Important Question & Answer)

                                                                    साखी

                                                                                        कबीर 

जीवन परिचय -

* कबीर का जन्म काशी में 1398 में हुआ।

* कबीर भक्तिकाल की निर्गुण भक्तिधारा के संत कवि थे।

* कबीर निर्गुण राम की भक्ति करते थे।

* कबीर के गुरु का नाम रामानंद था।

* कबीर का जन्म विधवा ब्राह्मणी के पेट से हुआ था।

* विधवा ब्राह्मणी ने कबीर को लहरतारा तालाब की सीढ़ियों पर लोकलाज के कारण छोड़ दिया। 

* कबीर का पालन-पोषण नीरु और नीमा ने किया।

* कबीर अनपढ़ थे। उनके विचारों को उनके शिष्यों ने लिखा।

* कबीर की भाषा को पंचमेल खिचड़ी तथा सधुक्कड़ी भी कहते हैं।

* कबीर को वाणी का डिक्टेटर भी कहते हैं।

* कबीर की साखियों में पंजाबी, अवधी, राजस्थानी और भोजपुरी भाषाओं का मिश्रण  है।

* कबीर की मृत्यु 1518 में मगहर हुई।

* साखी का अर्थ है-प्रत्यक्ष ज्ञान । ‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ का ही तद्भव रुप है। साक्षी शब्द ‘साक्ष्य’ धातु से बना है।  

साखी भावार्थ 

1. ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ।

    अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए कि सुनने वाले के मन का अहंकार नष्ट हो जाए। मतलब मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए। मधुर आवाज़ में बोलने से हमारा शरीर शीतल या शांत होगा और दुसरों को भी सुख या आनंद की अनुभूति होगी। 

2. कस्तूरी कुंडली बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।

    ऐसैं घटि-घटि राँम है, दुनिया देखै नाँहिं॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ मृग (हिरण) की नाभी में होता है। परंतु हिरण उसकी सुगंध के कारण उसे पूरे वन में ढूँढ़ने का काम करती है। उसे यह बात पता नहीं है कि जिसे वह ढूँढ़ रही है वह उसकी नाभी में ही है। ठीक वैसे ही कण-कण में राम हैं लेकिन दुनिया देख नहीं पाती है। अर्थात भगवान को प्राप्त करने की कोशिश में मनुष्य मंदीर-मस्जिद में जा रहा है लेकिन उसे यह पता नहीं है कि भगवान तो हर जगह है ।

3. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

    सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि जब हमारे अंदर मैं (अहंकार) रहता है तब हमें हरि की प्राप्ति नहीं होती है। मतलब अहंकार मन में लेकर हरि को भजने से हरि की प्राप्ति नहीं होती। लेकिन जैसे ही अहंकार त्यागकर आप हरि को याद करते हो तब आपको हरि की प्राप्ति होती है। अँधेरा तभी मिटता है जब दीपक जलता है। अर्थात अज्ञान रुपी अँधेरा तभी दूर होता है जब ज्ञान रुपी दीपक जलता है।

4.  सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।

     दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि दुनिया में सुखी वह है जो खाता और सोता है। लेकिन कबीर के अनुसार वह दुखी है जो भगवान की प्राप्ति के लिए जागता और रोता है। अर्थात कबीर स्वयं अपने आप को दुखी बता रहे हैं क्योंकि वे भगवान को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन उन्हें भगवान प्राप्त नहीं हो रहे हैं। बल्कि वे लोग सुखी है जो भौतिक वस्तुओं में ही आनंद प्राप्त करते हैं।

5. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।

   राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि बिरह (बिछडने का दुख) भुवंगम (साँप) के डसने के बराबर है। जब कोई साँप डसता है, तो उस मनुष्य को बचाने के लिए अनेक मंत्र-तंत्र बोले जाते हैं। फ़िर भी वह नहीं बचता। वैसे ही राम के वियोग में मतलब राम से अलग होकर कोई भी या भक्त जीवित नहीं रह सकता। अगर कोई राम के बिना जीवित रह भी जाता है, तो वह सामान्य मनुष्य की तरह नहीं रहेगा बल्कि पागल होगा।

6. निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाई।

    बिन साबण पाँणीं बिना, निरमल करै सु्भाइ॥  

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि निंदक को अपने पास रखना चाहिए। हो सके तो उसे अपने घर के आँगण में कुटिया बनाकर देनी चाहिए ताकि वह आपके करीब रहकर हरदिन आपकी निंदा कर सके। मतलब आपकी गलतियाँ दिखा सके। उसके द्वारा दिखाई गलतियों को देखकर आपका स्वभाव बिना पानी और साबण के निर्मल हो जाएगा। अर्थात आप अच्छे इन्सान बनेंगे।

7. पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

    ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि किताबें पढ़कर कोई भी पंड़ित नहीं हुआ है बल्कि जग के सारे लोग मूर्ख हो गए हैं। लेकिन जो भगवान या प्रियतम के एक अक्षर को भी पढ़ेगा, वह पंड़ित हो जाएगा। अर्थात जो भगवान को थोड़ा-सा भी समझ लेता है वह पंड़ित बन जाएगा।

8. हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा  हाथि।

    अब घर जालौं तास का, जे चले हमारे साथि॥

भावार्थ - उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर कहना चाहते हैं कि मैंने हाथ में मुराड़ा (मशाल) लेकर मेरा घर जलाया है। अर्थात घर त्याग दिया है। अब मैं दूसरों का भी घर जलाना चाहता हूँ जो मेरे साथ चलने के लिए तैयार है। अर्थात कबीर समाज में क्रांति लाना चाहते हैं इसलिए वे सबको अवाहन करते हैं कि जब तक आप अपने घर-परिवार के साथ जुड़े हैं तब तक आपको हरि की प्राप्ति नहीं हो सकती। अगर आप हरि को प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने घर को त्यागकर मेरे साथ चलो। मैं आपको भगवान के दर्शन कराऊँगा।

Popular Posts

समास (Samas सरल, Tricky & Important Notes)

                                                                                                समास समास शब्द का अर्थ- ‘संक्षिप्त रुप’ मतलब दो से अधिक शब्दों को मिलाकर छोटा शब्द रुप तैयार करना। दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नया शब्द बनता है, उसे समास कहते हैं। उदा. पाठ के लिए शाला = पाठशाला, चार राहों का समूह - ‘चौराहा’          उपर्युक्त उदाहरण में दो पद (शब्द)हैं। ये पूर्व पद (पहला शब्द) और उत्तरपद (दूसरा शब्द) कहलाते हैं। इन दो पदों को मिलाकर समस्त पद(पूरा शब्द) बनता है। जैसे- रसोई + घर = रसोईघर                        चौ(चार) + राहा (राह)  = चौराहा         पूर्व पद  + उत्तर पद  =...

Suchana Lekhan NCERT Class-10 (सूचना लेखन कक्षा - १० )

 सूचना लेखन * ‘सूचना लेखन’ पाठ का कक्षा १० वीं के हिंदी कोर्स -ब के पाठ्यक्रम में समावेश किया गया है।  * सूचना लेखन करते समय पूरे अंक लेने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है- १. सूचना लेखन करते समय सबसे पहले चौकोन आकार का बॉक्स बनाएँ। २. सबसे उपर बॉक्स के मध्य में सूचना का शीर्षक लिखें। ३. सूचना जिस संस्था द्वारा दी जा रही है, उसका पहले उपर नाम लिखें। जैसे-  विद्यालय, सोसाइटी, संस्था आदि। ४. उसकी नीचली पंक्ति के मध्य में ‘सूचना’ लिखें। ५. सूचना लिखने के बाद दाईने बाजू में दिनांक लिखें। दिनांक लिखते समय महीना हिन्दी में लिखें। सूचना लिखने की दिनांक और कार्यक्रम की दिनांक में कम से कम एक सप्ताह का अंतर रखें। कोई घटना पहले घटी है, तो  सूचना लिखने की दिनांक से पहले एक सप्ताह की दिनांक विषयवस्तु में लिखें।  ६.  सूचना लेखन की विषयवस्तु लिखते समय दिवस, दिनांक, समय, स्थल और विषय का उल्लेख करना आवश्यक है। सूचना की विषयवस्तु दो अनुच्छेदों में लिखें। विषय को बड़े अक्षरों में लिखें। ७. विषयवस्तु के बाद अंत में आपका पद और नाम लिखिए।  ८. सूचना के दो प्रा...

KAR CHALE HUM FIDA NCERT Class-10 Solutions & Summary .. (कर चले हम फ़िदा भावार्थ/प्रश्नोंत्तर ... FULL MARKS)

  कर चले हम फ़िदा                                           कैफ़ी आज़मी कवि परिचय -                          * कैफ़ी आज़मी का वास्तविक नाम अतहर हुसैन रिज़वी है।                         * जन्म- १९ जनवरी १९१९ उत्तरप्रदेश के आज़मगढ़ जिले मजमां गाँव में हुआ।                         * इनका पूरा परिवार कला क्षेत्र से जुड़ा था। प्रश्न -अभ्यास क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - १. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है? उत्तर- हाँ, इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। १९६२ में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध को ध्यान में रखकर इस गीत को लिखा गया था। चीन और भारत के इस युद्ध में भारत की हार हुई थी लेकिन भारत के जवानों ने चीन के सिपाहियों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया था।  २. ‘सर हिमालय का हम...

रहीम के दोहे - NCERT Class 9 वीं Solutions ( Raheem ke Dohe .... Bhavath Question & Answers)

रहीम के दोहे भावार्थ- दोहा-१   रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।                टूटे से फ़िर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥ रहीम जी कहते हैं कि प्रेम का धागा हमें जल्दबाजी में नहीं तोड़ना चाहिए। अगर यह धागा एक बार टूटा तो दुबारा नहीं जुड़ सकता और जुड़ा भी तो वह पहले जैसे नहीं होगा बल्कि उसमें गाँठ पड़ी देखने मिलेगी। अर्थात रिश्ता एक धागे समान नाजुक और मुलायम होता है जो एक बार टुट गया तो पहले जैसा उसमें विश्वास नहीं रहेगा इसलिए हमें रिश्ते को किसी भी बात को लेकर तोड़ने नहीं देना है। जिससे हमें बाद में पछताना पड़े।   दोहा-२ रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।               सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय॥ रहीम जी कहते हैं कि हमें अपनी मन की पीड़ा को मन में ही छुपाकर रखना है। लेकिन हम अपनी मन की पीड़ा को दुसरों के सामने सहानुभूति प्राप्त करने के लिए व्यक्त करते हैं तो लोग उसे सुनकर हमारी मदद करने की बजाय हमारा मज़ाक उड़ा सकते हैं। कोई भी हमारी पीड़ा को ना लेगा ना ही दूर करेगा। इसलिए हमारी पिड़ा ...

Smriti Sanchayan Class 9 NCERT Q/A (स्मृति.. संचयन प्रश्नोंत्तर )

 स्मृति                                श्रीराम शर्मा बोध-प्रश्न १. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था? उत्तर- भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में ड़र था क्योंकि उसके मन में बड़े भाई साहब के प्रति ड़र की भावना बनी रहती थी। जब गाँव का एक व्यक्ति उसको भाई द्वारा घर जल्दी बुलाने की बात करता है, उस वक्त वह सोच रहा था कि उसने ऐसा कौन-सा अपराध किया था कि उसको बड़े भाई ने जल्दी आने के लिए कहा। छोटे भाई को सर्दी के दिनों में घर से बाहर लेकर गया इसलिए शायद गुस्से में आकर डाँटने के लिए बुलाया होगा।   २. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढ़ेला क्यों फ़ेंकती थी? उत्तर-  मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला फ़ेंकती थी क्योंकि उस कुएँ में साँप गिर पड़ा था, बच्चों को उस साँप पर ढेला फ़ेंककर उसकी फ़ुसकार सुनने की इच्छा होती थी। बच्चों को ढ़ेला फ़ेंककर साँप की फ़ुसकार सुनना बड़ा काम करने के बराबर लगता था। स्कूल आते-जात...