नए इलाके में /खुशबू रचते हैं हाथ -भावार्थ /Question & answers CBSE (Naye Ilake me Khushaboo .. Aashay/ Solutions Class 9)
नए इलाके में खुशबू रचते हैं हाथ
अरुण कमल
कवि परिचय-
जन्म -
* बिहार नासरीगंज़ में १५ फ़रवरी १९५४\
* पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक
* साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
प्रमुख रचनाएँ -
* अपनी केवल धार
* सबूत
* नए इलाके में
* पुतली में संसार
* कविता और समय
कविता का भावार्थ -
(1) नए इलाके में
इन नए बसते इलाकों में
जहाँ रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान
मैं अकसर रास्ता भूल जाता हूँ
धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
खोजता हूँ ढहा हुआ घर
और ज़मीन का खाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
मु़ड़ना था मुझे
फ़िर दो मकान बाद बिना रंगवाले लोहे के फ़ाटक का
घर था इकमंज़िला
और मैं हर बार एक घर पीछे
चल देता हूँ
या दो घर आगे ठकमकाता
यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूंँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो- क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
कविता का भावार्थ -
उपर्युक्त कविता के माध्यम से कवि ने सतत बदलने वाली दुनिया का परिचय करवाया है। दुनिया में हरदिन नया परिवर्तन देखने को मिलता है जिससे पुरानी दुनिया बदलती नज़र आती है। कवि का कहना है कि दुनिया में कोई भी वस्तु स्थायी नहीं है। पुरानी वस्तु घटकर नई वस्तु उसकी जगह लेती नज़र आती है। इस कविता में कवि ने ऐसी ही बदलती दुनिया का वर्णन किया है।
जहाँ नए इलाके बन रहे हैं वहाँ नए-नए मकान बनते नज़र आ रहे हैं। कवि इन नए इलाकों में रास्ता भूल रहे हैं। कवि इसलिए रास्ता भूल रहे हैं क्योंकि उन्होंने बनाए पुराने निशान धोखा देते हैं। मतलब नष्ट हो जाते हैं। कवि ने अपनी मंज़ील तक पहुँचने के लिए पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, जमीन का खाली टुकड़ा तथा बिना रंगवाले लोहे का फ़ाटक निशान बनाए थे। लेकिन ये सब निशान अब वहाँ नहीं हैं। ये निशान हटाकर उनकी जगह अब नए निशान बन गए हैं। ऐसे में कवि एक घर आगे या एक घर पीछे चलते हैं।
कवि का कहना है कि यहाँ हरदिन कुछ नया बनने और कुछ घटने से कुछ भी स्मृति में रखना मुश्किल हो रहा है। हरदिन कुछ नया बनने से दुनिया पुरानी पड़ रही है। अभी-अभी बनाए हुए निशान एकदम पुराने पड़ रहे हैं जिससे ऐसा लग रहा है वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ तथा बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ। मतलब बहुत समय गुज़र गया हो या बहुत समय पहले इन जगहों पर गया हूँ। ऐसे में अपने निश्चित स्थान तक पहुँचने का एक ही उपाय है कि हर घर का दरवाज़ा खटखटाओ और पूछो.. क्या यही है वो घर?
अंत में कवि कहते हैं कि जब अपने बनाए निशान मिट जाते हैं और आपके पास समय बहुत कम होता है तब जिस किसी को भी आप खोज रहे हैं वह आपको घर पर से देखकर पहचाने और पुकारें।
इस कविता के द्वारा कवि यही समझाना चाहते हैं कि परिवर्तन दुनिया का नियम है। एक बार गुज़रा समय वापस नहीं आता इसलिए हरएक पल को आनंद से गुज़ारना है।
(२) खुशबू रचते हैं हाथ
कई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े- करकट
के ढेरों के बाद
बदबू से फ़टते जाते
इस टोलों के अंदर
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनोंवाले हाथ
पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल- से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे-पिटे हाथ
ज़ख्म से फ़टे हुए हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
भावार्थ -
उपर्युक्त कविता के द्वारा कवि ने समाज की आर्थिक विसंगतियों को उजागर किया है। कवि ने गंदी बस्तियों में रहकर अगरबत्तियाँ बनाने वाले लोगों की जीवन-शैली का वर्णन किया है। अगरबत्तियाँ बनाकर खुशबू रचने वाले हाथ कई गलियों के बीच, कई नालों के पार, कचरे के ढ़ेरों के बाद जहाँ बदबू से नाक फ़टते जाते हैं, ऐसे मुहल्ले में अगरबत्तियाँ बनाकर खुशबू रचनेवाले हाथ देखने मिलते हैं।
खुशबू रचनेवाले हाथों में उभरी नसोंवाले, घिसे नाखूनोंवाले, पीपल के कोमल से पत्तोंवाले, जूही की डाल से खुशबूदार और गंदे तथा जख्म से फ़टे हाथों की चर्चा की है। इन गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों द्वारा गुलाब, खस, रातरानी तथा केवड़ा जैसे अनेक फ़ूलों की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनती हैं। ये अगरबत्तियाँ बनाने वाले लोग खुद गंदगी में रहकर दूसरों के घरों में खुशबू रचने का काम करते हैं।
प्रश्न-अभ्यास
(1) नए इलाके में
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क. नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?
उत्तर- नए बसते इलाके में कवि इसलिए रास्ता भूल जाता है क्योंंकि उसने बनाए पुराने निशान मिट गए हैं और उनकी जगह नए निशान बन गए हैं। कवि ने पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, दो मंजिला मकान, बिना रंग वाला लोहे का फ़ाटक तथा जमीन का खाली टुकड़ा ये निशान बनाए थे लेकिन ये मिटने से कवि उस घर तक नहीं पहुँच रहा है जहाँ उसे पहुँचना था।
ख. कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर- ‘नए बसते इलाके में’ कविता में कवि ने ताकता पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, जमीन का खाली टुकड़ा, दो मंजिला मकान, दो मकान बाद बिना रंग वाला लोहे का फ़ाटक आदि। पुराने निशानों का उल्लेख किया है।
ग. कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?
उत्तर- कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसने जो निशान बनाए थे उसकी जगह नए निशान बन गए थे। कवि को अपने परिचित घर तक पहुँचने के लिए पीपल का ताकता हुआ पेड़ तथा ढहा हुआ घर खोजते हुए जमीन के खाली टुकड़े से बाएँ मुड़ना था। उसके बाद बिना रंगवाला लोहे के फ़ाटक का एक मंजिला घर तक पहुँचने की जगह वह एक घर पीछे या दो घर आगे चल देता है।
घ. ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- कवि एक ही दिन पुरानी पड़ती दुनिया को देखकर ऐसा कहते हैं जैसे ‘वसंत को गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ कहने से अभिप्राय है कि वसंत के मौसम में पेड़ों पर नए पल्लव तथा चारों तरफ़ हरियाली होती है लेकिन पतझड़ के आते ही पेड़ों के पल्लव झड़कर पेड़ ठूँठ बन जाते हैं। ठीक वैसे ही बैसाख के मौसम में प्रकृति निखरती है। फ़ल-फ़ूल तथा हवा में उमंग और ताज़गी महसूस होती है लेकिन भादों के मौसम में बादल तेज़ बरसते हैं। मौसम के अनुसार होने वाले ये बदलाव नए बसते इलाकों में होने वाले परिवर्तन की तरह ही है।
ड. कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा किया है?
उत्तर- कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर इशारा करते हुए कहा है कि वर्तमान समय में लोगों की जिंदगी भागदौड़ भरी हुई है। उनके पास इतना समय नहीं है कि वह हरघर खटखटाते अपने परिचित व्यक्ति का नाम पूछते चले। कविता में कवि के पास भी समय की कमी है क्योंकि आसमान में बादल घिर आए हैं और किसी भी वक्त बारिश हो सकती है। ऐसे में एक ही उपाय है कि हरघर खटखटाएँ और पूछ्ता चले कि “क्या यही है वह घर?”
च. इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
उत्तर- इस कविता में कवि ने शहरों की विडंबना की ओर संकेत करते हुए कहा है कि शहरों में बढ़ती आबादी के कारण लोगों को रहने के लिए जगह कम पड़ रही है। जिसके चलते लोग पेड़ काटकर खाली ज़मीन पर ऊँची-ऊँची इमारतें खड़ी करके रहने योग्य जगह बना रहे हैं। बढ़ती आबादी के कारण शहरों में सतत परिवर्तन होता जा रहा है। शहरों की रचना इतनी जल्दी बदल रही है कि पुराने निशान मिटकर नए निशान बनाये जा रहे हैं। जिससे अपनी परिचित जगहों को पहचानना मुश्किल होता जा रहा है। निश्चित स्थान तक पहुँचना मुश्किल हो रहा है।
व्याख्या कीजिए-
क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन पुरानी पड जाती है दुनिया।
व्याख्या- हरदिन व सतत बदलने वाली दुनिया में आप अगर किसी वस्तु का निशान बनाकर अपने निश्चित स्थान तक पहुँचना चाहते हैं तो आपको आपकी स्मृति(यादें) धोखा देंगी। मतलब आप सबकुछ भूल जाएँगे। यहाँ इतना तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है कि एक ही दिन में दुनिया पुरानी पड़ने जैसा अनुभव आता है।
ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर
व्याख्या- वर्तमान में मनुष्य की जिंदगी भाग-दौड़ भरी हो गई है। ऐसे में हरदिन बदलती दुनिया में आपने परिचित व्यक्ति के घर पहुँचने के लिए कोई निशान बनाया है और वह आपको नहीं मिलता है। आपके पास उस व्यक्ति का घर ढूँढ़ने के लिए बहुत ही कम समय है और आसमान में बादल भी घिरे हैं तो आपके मन में यही विचार आएगा कि आपका परिचित आपका परिचित व्यक्ति आपको ऊपर से देखकर पहचाने और पुकार ले।
योग्यता विस्तार
हिंदी महीनों के नाम
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फ़ाल्गुन।
2) खुशबू रचते हैं हाथ
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क. ‘खुशबू रचने वाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?
उत्तर- ‘खुशबू रचने वाले हाथ’ गरीब परिस्थिति में कई गलियों के बीच, कई नालों के पार, कचरे के ढ़ेरों के बाद जहाँ बदबू से नाक फ़टते जाते हैं, ऐसे गंदे मुहल्ले में रहते हैं।
ख. कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?
उत्तर- कविता में उभरी नसोंवाले हाथ, घिसे नाखूनों वाले हाथ, पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ, गंदे कटे-पिटे हाथ तथा ज़ख्म से फ़टे हुए हाथ इन हाथों की चर्चा हुई है।
ग. कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?
उत्तर- समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपना जीवन निर्वाह करने के लिए अगरबत्तियाँ बनाते हैं। अगरबत्तियाँ बनाते समय सुगंधित फ़ल, फ़ूल तथा वनस्पतियों का प्रयोग करते हुए वे लोग अपने हाथों से इन अगरबत्तियों को बनाते हैं। इनकी हाथों से बनी खुशबूदार अगरबत्तियाँ जब घरों में जलाई जाती है तब वहाँ उनकी खुशबू फ़ैलती है इसलिए कवि ने ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कहा है।
घ. जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
उत्तर- कविता के अनुसार जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल बहुत ही गंदा होता है। अगरबत्तियाँ बनाने वाले लोग उन जगह पर रहते हैं, जहाँ शहर का पूरा कचरा इकट्ठा किया जाता है। कूड़े-कचरे के ढेरों के नज़दीक तथा गंदी नालियों की बाजू में अगरबत्तियाँ बनाने वालों की बस्तियाँ होती है। वहाँ बदबू इतनी भयंकर होती है कि नाक फ़टने को आती है।
ड. इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- कवि इस कविता के माध्यम से समाज के दुर्बल और गंदी बस्तियों में जीवन बिताने वाले लोगों की दयनीय स्थिति समाज के सामने लाकर उनका दर्जा सुधारने का प्रयास करना चाहते हैं। शहरों में बदबूदार इलाकों में जीवन बिता रहे परिवार के सदस्यों की जीवनशैली को उजागर करके स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान देना चाहते हैं।
2. व्याख्या कीजिए-
क) i. पीपल के पत्ते-से नए -नए हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
व्याख्या- कविता में अनेक हाथों की चर्चा की हैं। उसमें पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ मतलब छोटे-छोटे बच्चों के हाथ हैं और वे बच्चे अपने हाथों से अगरबत्तियाँ बनाने का काम कर रहे हैं। जूही की डाल से खुशबूदार हाथ मतलब स्त्रियों के हाथ जो अगरबत्तियाँ बनाते हुए अपने परिवार की मदद करने में लगी हैं।
ii. दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते हैं हाथ
व्याख्या- कविता में उन लोगों की चर्चा की हैं जो दुनिया की फ़ेंकी गई सारी गंदगी के बीच में रहकर दुनिया के लिए खुशबू रचने का काम करते हैं। ये लोग शहरों के बीच, गंदे नालों के पास, कूड़े-करकट के ढेरों के पास गंदी बस्गतियों में रहकर अगरबत्तियाँ बनाकर दूसरों के घरों में खुशबू फ़ैलाने का काम करते हैं।
ख) कवि ने इस कविता में बहुवचन का अधिक प्रयोग किया है? इसका क्या कारण है?
उत्तर- इस कविता में अनेक जगह पर बहुवचन का अधिक प्रयोग किया है इसका यही कारण है कि समाज में ऐसे अनेक लोग हैं जो बड़े-बड़े शहरों में आर्थिक परिस्थिति या गरीबी के कारण ऐसे गंदे इलाकों में रहकर अपना जीवन बिताने का काम करते हैं। समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है इसलिए ये लोग ऐसी गंदी जगह पर रहते हैं, जहाँ कोई नहीं रहता है। समाज में बहुत सारे लोग आज भी भूखमरी और गरीबी का शिकार बने हैं जिनकी संख्या अधिक मात्रा में देखने को मिलेगी। उन्हीं की संख्या को दर्शाने के लिए कवि बहुवचन का प्रयोग किया है।
ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?
उत्तर- कवि ने कविता में अलग-अलग हाथों के लिए अलग-अलग विशेषणों का प्रयोग किया हैं। जैसे-
* खुशबू रचने वाले
* उभरी नसोंवाले
* घिसे नाखूनोंवाले
* पीपल के पत्ते से नए-नए
* जूही की डाल से
* गंदे कटे-पिटे से
* जख्म से फ़टे