संवाद लेखन
* संवाद लेखन कक्षा ९ वीं के पाठ्यक्रम में समावेश किया गया है। जो पाँच अंकों के लिए पूछा जाएगा।
* संवादात्मक शैली का विकास करने के उद्देश्य से इस पाठ का समावेश पाठ्यक्रम में किया है।
* संवाद विचारों के आदान-प्रदान को मदद करता है।
* संवाद का मतलब दो व्यक्तियों के बीच चल रही बातचीत या वार्तालाप है।
* संवाद लेखन में पूरे अंक प्राप्त करने हैं तो निम्न बातों को ध्यान से पढ़िए-
१. संवाद लेखन की भाषा सरल, स्पष्ट और विषय के अनुसार होनी चाहिए।
२. संवाद दो व्यक्तियों के बीच चलेगा। जिसमें कम से कम एक संवादकर्ता के छह से सात संवाद होने चाहिए।
३. संवाद लेखन में शुरुवात में पहले एक-दूसरे की हालचाल संवादों के माध्यम से जानने का प्रयास करें।
४. संवाद की भाषा श्रोता या पाठक में रुचि निर्माण करें।
५. संवाद एक वाक्य में छोटे लिखें या अधिक से अधिक दो वाक्य में हो। दो पंक्तियों से बड़े संवाद अस्पष्ट और नीरस लगते हैं।
६. संवास विषयवस्तु को ध्यान में रखकर क्रम से लिखें।
७. पहला संवाद दूसरे संवाद के संबंधित हो।
८. संवाद लेखन के समय उत्पन्न भाव कोष्ठक (-----) में लिखें। जिससे भावों की अभिव्यक्ति ठीक से होगी।
९. संवाद लेखन में विरामचिह्नों का प्रयोग ठीक से करें।
उदाहरण-
१) माँ और बेटे की बीच परीक्षा की तैयारी को लेकर चल रहे संवाद लिखिए।
माँ - अरे! बेटा, पढ़ाई हो गई।
बेटा - (प्यार से) हाँ, माँ हो गई।
माँ - तुम्हारी परीक्षा कब से शुरु हो रही है?
बेटा - (विश्वास के साथ) अगले सप्ताह से शुरु हो रही है।
माँ - बेटा तुम्हारी परीक्षा की तैयारी हो गई ?
बेटा - माँ, तैयारी तो हो गई, लेकिन गणित थोड़ा कठीन जा रहा है।
माँ - बेटा, कोई चिंता की बात नहीं है। तुम अच्छा स्कोर करोगे।
बेटा - हाँ, मैं पूरे मन से मेहनत कर रहा हूँ। (खुश होकर)
माँ - मुझे पता है बेटा, तू अवश्य सफ़ल होगा। (प्रसन्नता से)
बेटा - माँ, आपका प्यार और आशीर्वाद मुझे सफ़लता देगा।
माँ - बेटा, मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा। (नज़दीक लेकर)
बेटा - माँ , मैं आपका विश्वास टुटने नहीं दूँगा।
माँ - मैं जानती हूँ। (गोद में लेकर)
बेटा - मुझे पढ़ाई करने देना। नहीं तो...(हँसते हुए)
माँ - ठीक है, बेटा। तू पढ़। मैं दूध लेकर आती हूँ। (अंदर जाते हुए।)
बेटा - (मन से पढ़ते हुए) एक बार.......
२) अतिथि और लेखक के बीच चल रहे संवाद अपने शब्दों में लिखिए।