तुम कब जाओगे, अतिथि
शरद जोशी
प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए।
१. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
उत्तर- अतिथि लेखक के घर चार दिनों से र ह रहा है।
२. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फ़ड़फ़ड़ा रही थी?
उत्तर- कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फ़डफ़डा रही थी।
३. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर- पति ने स्नेह भरी मुस्कुराहट के साथ गले लगाते हुए, तो पत्नी ने सादर नमस्ते कहते हुए स्वागत किया।
४. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरीमा प्रदान की गई?
उत्तर- दोपहर के भोजन को लंच की गरीमा प्रदान की गई।
५. तीसरे दिन अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर- तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धोबी को धोने के लिए देने की बात कही।
६. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर - अतिथि के सत्कार में लेखक तथा उनकी पत्नी ने डिनर से शुरुवात की थी, लेकिन खिचड़ी पर आ गए। लेकिन सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर उपवास तक जाना पड़ सकता है।
लिखित
क) निमलिखित प्रश्नों के उत्तर (२५ से ३० शब्दों में) लिखिए।
१. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर- अतिथि अगर सही समय पर अपने घर लौटते तो लेखक उनको भावभीनी विदाई देते। लेखक अतिथि को दुखी मन से रेलवे स्टेशन तक छोड़ने के लिए जाते और उनको रुकने का आग्रह करते। लेखक के रुकने की बात करने पर भी अतिथि नहीं रुकते। अंत में लेखक अतिथि को सजल नेत्रों से विदाई देते।
२. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए ।
i. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
व्याख्या- जब लेखक के घर अतिथि बिना बताए आता है तब लेखक का बटुआ काँपने लगता है मतलब उसके घर अतिथि रहने से अधिक खर्चा करना पड़ सकता है।
ii. अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थो़ड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
व्याख्या- अतिथि को सदैव देवता के रुप में देखा जाता है। अगर वह आने की सूचना दे और सही समय पर जाए। लेकिन कोई अतिथि अधिक दिनों तक रहकर मेज़बान की परेशानी बनें तो वह मानव या राक्षस माना जाता है।
iii. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
व्याख्या- अतिथि अगर किसी भी मेज़बान के घर जाता है और उसके घर में समस्या बनकर रहता है या अतिथि की वजह से मेज़बान का परिवार परेशान होता है। वह उनके घर का आनंद और सुख-शांति भंग करता है तो उस अतिथि को उस घर में नहीं रहना चाहिए।
iv. मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
व्याख्या- लेखक के घर में अतिथि जब चार दिनों से रह रहा था तब लेखक को उसका रहना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। ऐसे में लेखक यह सोचता है कि सुबह उठकर अतिथि नहीं गया तो उसकी सहनशीलता समाप्त हो जाएगी और उसके लिए गेट आउट शब्द का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
v. एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
व्याख्या- लेखक का मानना यह है कि देवता और मनुष्य एक साथ नहीं रह सकते। अतिथि देवता माना जाता है। देवता जैसे दर्शन देकर चले जाते हैं वैसे ही अतिथि को भी एक-दो दिन रहकर जाना चाहिए। इससे उसका देवत्व सुरक्षित रहेगा।
ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (५०-६० शब्दों में) लिखिए।
प्रश्न १. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- अतिथि लेखक को तीसरे दिन सुबह धोबी के पास कपड़े धोने की बात करता है, यह आघात अप्रत्याशित था तथा इसकी चोट मार्मिक थी। लेखक पर इस बात का यह प्रभाव पड़ा कि उसे अतिथि राक्षस के समान लगने लगा। दोनों के बीच का सौहार्द धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा। अतिथि को देखकर लेखक के चेहरे पर फ़ूट पड़ने वाली मुसकराहट अब लुप्त हो गई। चर्चा के विषय समाप्त होकर दोनों अपनी-अपनी जगह पर चुप बैठे हैं। दोनों के बीच का शब्दों का लेन-देन मिट गया। लेखक की भावनाएँ गालियों का रुप ले रही थी।
प्रश्न २. ‘संबंधों का संक्रमण के दौरे से गुज़रना’- इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
उत्तर- लेखक और अतिथि के संबंध संक्रमण के दौर से गुज़र रहे थे इस पंक्ति से हम यह समझ सकते हैं कि अतिथि तीन से अधिक दिन लेखक के घर रहने से उनके विचारों और व्यवहार में आया परिवर्तन है। दोनों के सौहार्दपूर्ण संबंधों में तिरस्कार एवं घृणा जन्म ले रही थी। दोनों में बातचीत भी अब न के बराबर हो रही थी। अतिथि का लेखक के घर होना राक्षस के समान लग रहा था। बोरियत वाले समय से दोनों गुज़र रहे थे। अतिथि का लेखक के घर अधिक दिन तक रुकना दोनों के रिश्तों में दरार ला सकता है।
प्रश्न ३. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में निम्नलिखित परिवर्तन आए-
* लेखक के चेहरे पर से मुसकराहट कम हो गई।
* लेखक और अतिथि के बीच संवाद बंद हो गया।
* सत्कार की ऊष्मा खत्म हो गई जिससे उपवास तक आने की बातें की गईं।
* भावनाएँ गालियों का रुप ग्रहण करने लगी।
* लेखक की सहनशीलता खत्म हो गई।
* अतिथि को राक्षस के रुप में देखा जाने लगा।
* अतिथि के प्रति सम्मान की भावना खत्म हो गई।