तोप
वीरेन डंगवाल
कवि परिचय -
वीरेन जी का जन्म ५ अगस्त, १९४७ को उत्तराखंड के कीर्तिनगर में हुआ।
‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
कवितासंग्रह- ‘इसी दुनिया में, दुष्चक्र में स्रष्टा
आशय -
कंपनी बाग के मुहाने पर
धर रखी गई है यह १८५७ की तोप
इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले
कंपनी बाग की तरह साल में चमकाई जाती है दो बार।
प्रस्तुत पद्यांश द्वारा कवि बताना चाहते हैं कि १८५७ में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा उपयोग में लाई यह तोप है। आज यह तोप कानपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाई गई बाग के प्रवेश द्वार पर रखी गई है। आज इसे बहुत ही सँभाल कर रखा जाता है क्योंकि यह हमें विरासत (पूर्वजों से) में मिली है। विरासत में मिली कोई भी चीज़ अपने पूर्वज़ों की याद दिलाती है इसलिए उसे सँभालकर रखा जाता है। कंपनी बाग को जब साल में दो बार- १५ अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) तथा २६ जनवरी (गणतंत्र दिवस) के अवसर पर चमकाया जाता है तब इस तोप को भी चमकाया जाता है।
सुबह-शाम कंपनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
अपने ज़माने में
प्रस्तुत पद्यांश द्वारा कवि बताना चाहते हैं कि कानपुर की इस कंपनी बाग में सुबह-शाम जब बहुत से सैलानी (पर्यटक) घुमने के लिए आते हैं। उस वक्त मानो यह तोप उनको अपना परिचय देते हुए कहती है कि मैं अपने ज़माने में बड़ी शक्तिशाली थी और मैंने अनेक सूरमाओं (शूरवीरों) को मौत के घाट उतारा था। तोप बहुत ही विध्वंसकारी होती है, जो भी उसके सामने आता है, उसका अंत निश्चित है। मतलब बड़े-बड़े योद्धा भी उसके सामने आने से ड़रते थे।
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती है गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
खास कर गौरैयें
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।
उपर्युक्त पद्यांश द्वारा कवि यह बताना चाहते हैं कि १८५७ में इस्तेमाल की गई, इस तोप ने अनेक भारतीय क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतारा था लेकिन बहरहाल (फ़िलहाल) यह एक सजावट की वस्तु बनकर रह गई है। बाग में आने वाले छोटे लड़के इस पर बैठकर घुड़सवारी करते हैं। लड़कों की घुड़सवारी के बाद जब यह फ़ारिग (खाली) रहती है तब इस पर गौरैयें (चिड़ियाँ) भी बैठकर गपशप करती हैं, तो कभी-कभी शैतानी में इसके भीतर भी घुस जाती हैं। मतलब अब इस तोप से किसी को भी ड़र नहीं लगता है। ऐसे में जैसे यह तोप सबको बताती है कि कितनी भी बड़ी तोप क्यों न हो, उसका एक-न-एक दिन मुँह बंद हो ही जाता है। इस कविता से यही संदेश मिलता है कि कोई भी चीज़ कितनी भी शक्तिशाली या विनाशकारी क्यों न हो कभी-न-कभी उसका अंत निश्चित होता है।
प्रश्न-अभ्यास
क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
१. विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल होती है क्योंकि वह हमारे पूर्वजों की निशानी है और वह उनकी याद दिलाती है। उसे सँभालकर रखना इसलिए जरुरी होता है क्योंकि वह हमें पूर्वजों का इतिहास जिंदा रखने और उसका परिचय कराने में मदद करती है।
२. इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर- इस कविता से हमें तोप के बारे में यह जानकारी मिलती है कि इस तोप का उपयोग अंग्रेजों के ज़माने में हुआ था। १८५७ में इस तोप को ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय इस्तेमाल करके भारत के अनेक क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतारा था। यह तोप बहुत ही विध्वंसकारी थी, इसने अनेक शूरवीरों को मौत के घाट उतारा था लेकिन अब यह कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी है। यह तोप अब सैलानियों को देखने का साधन बन गई है।
३. कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है ?
उत्तर- कंपनी बाग में रखी तोप यह सीख देती है कि कोई भी वस्तु कितनी ही भयंकर या शक्तिशाली क्यों न हो, एक न एक दिन वह खत्म हो ही जाती है। उसका अंत कुछ समय बाद निश्चित होता है। जैसे अंग्रेजों की अत्याचारी प्रवृत्ति तथा उनकी भारत से सत्ता या शक्ति खत्म हो गई और वे हमारे देश को छोड़कर चले गए।
४. कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है? वे दो अवसर कौन-से होंगे?
उत्तर- कविता में तोप १५ अगस्त को ‘स्वतंत्रता दिवस’ तथा २६ जनवरी को ‘गणतंत्र दिवस’ के अवसर पर चमकाने की बात की गई है। ये दो दिन तोप को चमकाया जाता है ताकि सभी के लिए यह तोप आकर्षण का केंद्र बने और सब इस तोप के इतिहास और वर्तमान स्थिति से अवगत होने का प्रयास करें।
ख. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
१. अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती है गपशप
भाव - १८५७ में इस्तेमाल की गई यह तोप कलकत्ता में कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी है। कंपनी बाग में घुमने आने वाले छोटे बच्चे इस तोप पर बैठकर घुड़सवारी का आनंद उठाते हैं। इन बच्चों के चले जाने के बाद जब यह खाली रहती है तब उसपर चिड़ियाँ बैठकर गपशप करती है। इसका तात्पर्य यह कि अब उस तोप से कोई भी नहीं ड़रता है।
२. वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।
भाव - तोप बताना चाहती है कि कितनी भी बड़ी या शक्तिशाली क्यों न तोप हो उसका एक न एक दिन मुँह बंद हो ही जाता है। इसका तात्पर्य यही है कि हर एक चीज़ का अंत समय के साथ निश्चित है।
३. उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
भाव - तोप अपने समय इतनी भयंकर और शक्तिशाली थी कि उसने बड़े-बड़े शूरवीरों को मौत के घाट उतारा था। तोप का उपयोग जब हो रहा था, तब वह बहुत ही विध्वंसकारी थी ।