गीत-अगीत
रामधारी सिंह ‘दिनकर’
प्रश्न १. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
क. नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर- नदी किनारों से बिछड़ते हुए विरह गीत गाती जा रही है। नदी को अपना दुख हल्का करते हुए बहता देख गुलाब किनारे पर खड़ा सोच रहा है कि ‘‘यदि मुझे विधाता स्वर (आवाज़) देते तो मैं भी अपने पतझड़ के सपनों का जग को दु:ख सुनाता। पंक्तियाँ- देते स
ख. जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- शुकी अंड़ों को गरम करती घोंसले में बैठती है तब वसंत की किरणें शरीर को स्पर्श करते ही पूरे वन में गूँज उठे ऐसी आवाज़ में शुक गीत गाता है। उस गीत को सुनने के बाद शुकी मन ही मन में प्रसन्नता का अनुभव करती है। अपने पंख फ़ुलाकर स्नेह से भरे गीत का अनुभव करती है पर गा नहीं पाती।
ग. प्रेमी जब गीत गाता है तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?
उत्तर- प्रेमी जब शाम के समय में आल्हा गीत गाता है तब उस गीत का पहला स्वर उसकी राधा (प्रेमिका) को उसके घर से अपनी ओर खींच लाता है। प्रेमिका नीम के पेड़ के पीछे से चोरी-चोरी गीत सुनती है। प्रेमी का गीत सुनकर उसके मन में प्रेम भावना का संचार होता है और उसकी इच्छा होती है कि वह उस गीत की कड़ी बनकर अपने प्रेमी के मुँह से बाहर निकले।
घ. प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
उत्तर- कविता के प्रथम छंद में कवि प्रकृति का सुंदर व सजीव चित्रण करता है। कल-कल करते हुए बहती नदी मानो गीत गाते हुए किनारों से बिछड़ने का दु:ख व्यक्त कर रही हो। उसी नदी के किनारे गुलाब का फ़ूल पतझड़ के मौसम में पत्तों से बिछड़ने के दु:ख को मन ही मन समेटा मौन खड़ा है।
ड. प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- पशु-पक्षियों का घर ही प्रकृति है इसलिए प्रकृति का इनके साथ गहरा संबंध है। ये दोनों एक दूसरे के पूरक है। पशु-पक्षी प्रकृति पर ही अपना जीवन यापन करते हैं। पेड़ तथा पौधों से प्राप्त फ़ल-फ़ूल तथा बीज उनका भोजन होता है। अपनी सुरक्षा के लिए इन्हें प्रकृति का ही सहारा लेना पड़ता है। पेड़, गुफ़ाएँ, पर्वत,चट्टाने तथा पानी जैसे घटक उनका आश्रय स्थान है। अपने दैनिक कार्य प्रकृति के संपर्क में ही रहकर करते हैं।
च. मनुष्य को प्रकृति किस रुप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- मनुष्य को प्रकृति विविध रुपों में आंदोलित या उत्तेजित करती हैं। सूरज की चमकिली किरणें हमारे शरीर एवं मन को उबदार बनाती हैं। ठंडी-ठंडी हवा हमारे शरीर को शीतलता का अनुभव कराती है। बहता नदियों का पानी तन की प्यास बुझाता है तो बहते पानी की आवाज़ मन में उल्लास पैदा करता है। हरे -भरे पेड़ तथा फ़ूलों की सुंदरता मन में सुंदर भावना का अनुभव कराती है। प्रकृति मनुष्य के मन में चेतना का निर्माण करती है।
छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- अगीत से ही गीत का निर्माण होता है। मन में उत्पन भाव जब स्वरों की मदद से अभिव्यक्त होते हैं तब गीत का निर्मांण होता है। मन में उत्पन्न भाव मतलब ही अगीत है। कवि के प्रश्न का उत्तर यही है कि हाँ, अगीत भी होता है। अगीत के बिना गीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अगीत प्रकट नहीं किया जाता लेकिन वह मन ही मन में गाया जा सकता है। जिससे गीत और अगीत समान भावों को व्यक्त करते हैं इसलिए दोनों सुंदर भी है।
छ) ‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर - गीत-अगीत कविता में प्रकृति तथा जीवों के प्रेमभाव का सुंदर चित्रण कवि ने किया है। अगीत से ही गीत का निर्माण होता है। अगीत उतना ही महत्वपूर्ण है जितना गीत होता है तथा दोनों में समान भाव होते हैं। मनुष्य जैसे प्रकृति के अन्य घटकों में भी समान भाव दर्शाए गए हैं। कविता में नदी, शुक तथा प्रेमी की भावनाएँ गीत बनकर प्रकट होती हैं तो दूसरी ओर गुलाब, शुकी और राधा की भावनाएँ मन में ही सिमटकर अगीत बन जाती है। गीत-अगीत दोनों का अपनी-अपनी जगह होना महत्वपूर्ण है इसलिए दोनों सुंदर है।