गिल्लू
महादेवी वर्मा
कवियित्री परिचय -
* महादेवी वर्मा का जन्म उत्तरप्रदेश के फ़र्रुखाबाद में २६ मार्च १९०७ को हुआ।
* महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा के नाम से जाना जाता है।
* छायावाद कि प्रमुख कवियित्री
* ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार
* रचनाएँ- नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा आदि।
* मृत्यु ११ सितंबर १९८७ को हुई।
बोध-प्रश्न -
१. सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौनसे विचार उमड़ने लगे?
उत्तर- सोनजुही की पीली कली को देखकर लेखिका के मन में यह विचार आया कि गिल्लू ने लेखिका को चौंकाने के लिए स्वर्णिम कली के रुप में पुन: जन्म लिया हो। लेखिका ने गिल्लू (गिलहरी का छोटा बच्चा) की जान बचाई थी और उसे अपने घर में ही रखा था। गिल्लू सोनजुही की पीली कली खीलने से पहले ही उसको खाता था। गिल्लू की मृत्यु के बाद उसकी सोनजुही की पसंदीदा टहनी के नीचे ही उसको दफ़ना दिया था। लेखिका गिल्लू की मृत्यु के बाद सोनजुही की पीली कली देखती है तब उसको गिल्लू की याद आती है।
२. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तर- कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी कहा गया है। कौए का समादरित माना जाता है क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार ऐसे माना जाता है कि हमारे पूर्वज पितरपक्ष में हमसे कुछ-न-कुछ प्राप्त करने के लिए कौए के रुप में ही अवतरित होते हैं। जिससे हम उनका आदर करते हैं। साथ ही ये हमारे दूर विदेश में रहने वाले प्रियजनों के आने का मधुर संदेश भी कर्कश आवाज़ में ही सुनाते हैं।तथा दूसरी ओर कौए को अनादरित मानने का कारण यह है कि उसकी कर्कश आवाज़ और उसका काला रंग किसी को भी पसंद नहीं है।
३. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर- लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को अर्धमृत्यु की हालत में घर लेकर आती है। उसके शरीर पर से खून को रुई से साफ़ करती है और घाव पर पेंसिलिन का मरहम लगाती है। रुई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके मुँह में दूध की बूँदें ड़ालने का प्रयास करती है लेकिन वे दोनों ओर ढुलक जाती है। कई घंटे के उपचार के बाद लेखिका एक बूँद पानी का टपका देती है, जिससे वह तीसरे दिन तक एकदम स्वस्थ होता है।
४. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर- लेखिका अपने निजी काम में व्यस्त रहती या कुछ लिखने के लिए बैठती तब गिल्लू उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसने अच्छा उपाय खोज़ निकाला था। वह लेखिका के पैर से सिर तक चढ़ता और उतनी ही तेज़ी से उतरता था। यह क्रम तब-तक चलता जब-तक लेखिका उसे पकड़कर लिफ़ाफ़े में न ड़ाले।
५. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर- गिल्लू को कमरे से मुक्त करने की आवश्यकता समझी गई क्योंकि उसके जीवन में वसंत का आगमन हुआ था मतलब वह जवान हो गया था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की के पास आकर चिक-चिक करते हुए जैसे उसको बाहर बुला रही थी। गिल्लू खिड़की के पास बैठकर बाहर अपनेपन से देखता रहता तब लेखिका ने उसे मुक्त करने की आवश्यकता समझी। लेखिका ने गिल्लू को खिड़की की जाली का एक कोना खाली कर उसे बाहर जाने का रास्ता बना दिया। लेखिका के बाहर जाने पर गिल्लू उसी रास्ते से बाहर जाता और पूरा दिन गिलहरियों का नेता बनकर उनके साथ खेलता। लेखिका के वापस घर आने पर वह उसी रास्ते से अंदर आता और झूले में झुलता रहता।
६. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर- लेखिका को मोटर दुर्घटना होने पर अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। लेखिका अस्पताल में थी तब गिल्लू अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थ कम खाता और ना ही झूले से नीचे उतरता। थोड़े दिनो बाद लेखिका अस्पताल से घर वापस आती है और अपने कमरे में आराम करती है। गिल्लू लेखिका की इस हालत में उसके सिर के पास बैठता और अपने नन्हें-नन्हें पंजों से उसके सिर और बालों को ऐसे सहलाता रहता। जिससे लेखिका को ऐसा अनुभव हो रहा था कि वह एक परिचारिका की भूमिका निभा रहा हो।
७. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि उसका अंत समय समीप है?
उत्तर- गिलहरी के जीवन की अवधि दो साल तक ही होती है तथा गिल्लू का अंतिम समय समीप आया था। गिल्लू अपने अंतिम समय में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर उसके सिरहाने आता है। उसका सारा शरीर ठंडा पड़ रहा था। वह अपने ठंडे़ पंजों से लेखिका की उसी ऊँगली को पकड़ता है, जिसे उसने बचपन में अर्धमृत्यु की हालत में पकड़ा था। उस दिन उसने कुछ भी नहीं खाया था और ना ही वह खेलने के लिए बाहर गया था। लेखिका ने रात में उसके ठंड़े शरीर को गरम करने के लिए हिटर जलाया लेकिन सुबह की पहली किरण के स्पर्श से ही गिल्लू हमेशा के लिए सो गया।
८. ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया- का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- गिल्लू अपने जीवन के अंतिम समय में पूरा दिन झूले में रहता है। वह कुछ भी नहीं खाता है और ना ही बाहर खेलने के लिए जाता है। वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आता है और उसकी उसी ऊँगली पकड़कर प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो जाता है। गिल्लू की आत्मा पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण करती है। अर्थात गिल्लू की मृत्यु होती है और उसकी आत्मा मरने के बाद दूसरे शरीर में प्रवेश करने के लिए निकल जाती है।
९. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर- सोनजुही की लता गिल्लू को बहुत पसंद थी। वह हमेशा उस लता की पत्तियों में जाकर छिप जाता था। लेखिका ने गिल्लू के मरने के बाद उसकी पसंदीदा लता के नीचे ही उसकी समाधि बनाई। लेखिका के मन में यह विश्वास निर्माण हो रहा था कि उसका शरीर मिट्टी होकर सोनजुही की जड़ में मिल गया होगा और अब स्वर्णिम कली बनकर उसी लता पर खिलते हुए लेखिका को चौंकाने के लिए आया हो।