औपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र वह होता है जिसमें अपने वैयक्तिक जिंदगी से संबंध नहीं होता है। इस पत्र में १) प्रार्थना पत्र, २) व्यावसायिक पत्र और ३) कार्यालयीन पत्र ये तीन प्रकार आते हैं। इन पत्रों में आप विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा भारत या राज्य सरकार के किसी भी कार्यालयो से संबंधित अधिकारियों को ये पत्र लिखे जाते हैं।
औपचारिक पत्र के अंग
१) प्रेषक का पता - पत्र लिखनेवाले व्यक्ति का नाम और पता पत्र के सबसे ऊपर लिखा जाता है। अगर पत्र के विषय में प्रेषक का नाम लिखा जात है तो वह लिखना है नहीं तो आप अपने वास्तविक नाम को न लिखकर उसकी जगह अ.ब.क. और परीक्षा भवन लिखना है। उदा. अ.ब.क. , परीक्षा भवन
२) दिनांक- पता लिखने के बाद उसके नीचे एक पंक्ति छोड़कर दिनांक लिखनी है। दिनांक लिखते समय महीना हिन्दी में ही लिखें। उदा. 20 मई 2015
३) प्रति का पता - इसमें सेवा में लिखने के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसका नाम, पद और पता लिखना है। जैसे- सेवा में, प्राचार्य, अ.ब.क. विद्यालय, दिल्ली।
४) विषय- औपचारिक पत्र में विषय लिखना अनिवार्य है। जैसे- विषय- दो दिन की छुट्टी हेतु।
५) संबोधन- औपचारिक पत्र में पत्र जिसे लिखा जा रहा है उसका नाम, पद व पता लिखने के बाद संबोधन लिखा जाता है। जैसे- आदरणीय / महोदय
६) विषयवस्तु- औपचारिक पत्र के विषयानुसार आप इसमें अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। कम से कम दो (Paragraph) अनुच्छेद लिखें।
७) पत्र की समाप्ति - पत्र को एकदम से लिखना बंद नहीं करना चाहिए बल्कि पत्र का समापन आभार व्यक्त करते हुए करना चाहिए। जैसे- मैं आपसे सहायता की भावना व्यक्त करता हूँ। धन्यवाद
८) अंतिम निर्देश- भवदीय लिखकर आपका नाम लिख सकते हैं। जैसे - भवदीय, अ.ब.क.
उदाहरण-
अपने विद्यालय के प्राचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र देने का अनुरोध करते हुए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अ.ब.क.
परीक्षा भवन
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दिनांक- 20 मई 2015
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सेवा में,
प्राचार्य
आर्मी पब्लिक स्कूल,
दिल्ली।
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विषय- चरित्र प्रमाण-पत्र देने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अ.ब.क. आपके २०१०-११ विद्यालय का छात्र रहा हूँ। मैंने पिछले वर्ष सातवी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। मैंने पढ़ाई के साथ वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया था। मैंने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल की है। इस विद्यालय में प्रवेश हेतु पिछले विद्यालय से दिए गए चरित्र प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है।
अत: मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कि मुझे अति शीघ्र चरित्र प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।
भवदीय
अ.ब.क.
कुछ उदाहरण-
१) अपने विद्यालय के प्राचार्य को ग्रंथालय में हिन्दी साहित्य की पुस्तकें मँगवाने हेतु पत्र लिखिए।
२) दैनिक समाचार पत्र के संपादक को आपके सोसाइटी में हो रही चोरियों के प्रति जागरुकता लाने की खबर छपवाने हेतु निवेदन पत्र लिखिए।