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शब्द- विचार 9 class (Shabd -Vichar ... Tricky notes)

 

शब्द- विचार

·       वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।

·       दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक मेल से शब्द बनता है।

·       शब्द एक स्वतंत्र सार्थक इकाई है।

उदा. क+म+ल= कमल       आ+म= आम

                                                 शब्द वर्गीकरण

·       भाषा पर प्रभुत्व पाने के लिए शब्द-भंडार की आवश्यकता होती है। भाषा निर्माण में प्रयोग होनेवाले इस शब्द-भंडार का अलग-अलग आधार पर विभाजन किया है।

 

अ)  अर्थ के आधार पर

                आ) उत्पत्ति/स्त्रोत के आधार पर

इ)  रचना के आधार पर

ई)   प्रयोग के आधार पर      


              अ)  अर्थ के आधार शब्द-भेद        

१)    सार्थक शब्द

शब्दों का ऐसा मेल जो अर्थ देता है, उसे सार्थक शब्द कहते हैं।

उदा. मोहन, कबूतर, घर, हवा, शहर, जमीन, ।  

२) निरर्थक शब्द

शब्दों का ऐसा मेल जिसका कोई अर्थ नहीं होता है, उसे निरर्थक शब्द कहते हैं।

उदा. नमोह, रतबूक, खाना-वाना, चादर-वादर, गुटरगु (पशु-पक्षियों की आवाज)।

३)    पर्यायवाची शब्द

जिन शब्दों का अर्थ लगभग एक समान होता है, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं।

उदा. पानी-   नीर, जल, उदक, सलिल।     

        कमल- जलज, नीरज, सरोज, पंकज।

        गगन-   आसमान, आकाश, अंबर, पुष्कर।

४)   एकार्थी शब्द

जिन शब्दों का सिर्फ़ एक ही अर्थ निकलता है, उन शब्दों को एकार्थी शब्द कहते हैं।

उदा. लड़का, दिल्ली, बुधवार, दिसंबर।

(देश, दिवस, राज्य या महीनों के नाम के जैसे नाम इसमें अधिकतर रहते हैं।)

५)   अनेकार्थी शब्द

जिन शब्दों का एक से अधिक अर्थ निकलता है, उन शब्दों को अनेकार्थी शब्द कहते हैं।

उदा.  पर   - पंख, परंतु    

         हार   - पराजय, गले में पहना हार

         फ़ल  - खाने का फ़ल, परिणाम, फ़ायदा

         अंबर – वस्त्र, आकाश

६)   विलोम शब्द

जिन शब्दों का अर्थ एक-दूसरे के विपरित निकलता है, उन शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

उदा-   माता-पिता

          जमीन-आसमान

          अमीर – गरीब

          ज्ञान-अज्ञान

          रात-दिन

७)   श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द

जिन शब्दों का उच्चारण समान या सुनने में लगभग एक जैसा होता है, उन शब्दों को श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहते हैं।

उदा.  दिन-दीन                  (अर्थ- दिवस- गरीब)

        अन्न-अन्य                  (अर्थ-अनाज- दूसरा

        अवधि-अवधी             (अर्थ-समय, भाषा)

        अभिराम-अविराम       (अर्थ-सुंदर, बिना विराम के)

        पानी-पाणि                ( अर्थ- जल, हाथ)

 

(ट्रिक- सार्थ, निरर्थ, एकार्थ, अनेकार्थ, श्रुतिसमभिनार्थ जैसे अंत में अर्थ का उचारण होता है, वे अर्थ आधारित शब्द )

      आ)  उत्पत्ति/स्त्रोत के आधार पर

        हिन्दी भाषा अनेक शब्दों से बनी है। ये शब्द अलग-अलग जगह से हिन्दी भाषा में आए हैं। अनेक विदेशी अनेक उद्देश्यों से भारत में आए। इन विदेशियों के संपर्क में आने से उनके शब्दों को भारतीयों ने सिखा, जिससे धीरे-धीरे इन शब्दों का प्रयोग हिन्दी में हुआ। इन शब्दों की उत्पत्ति या निर्माण अनेक भाषाओं से हुआ है। जैसे- संस्कृत, अंग्रेजी, अरबी-फ़ारसी,चीनी पोर्तुगाली आदि। इस प्रकार शब्द जिस मूल भाषा से आया है, वह भाषा उस शब्द का निर्माण/स्त्रोत होता है।

 

·       उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद चार हैं-

१)     तत्सम शब्द

२)    तद्भव शब्द

३)    देशज/देशी शब्द

४)    आगत/विदेशी शब्द

 

( ट्रिक- संस्कृत(तत्सम) तथा देश (देशज)-विदेश (विदेशी) के शब्दों से ही हिंदी (तद्भव) की उत्पत्ति हुई है। )    

 १)    तत्सम शब्द (संस्कृत शब्द)

‘तत्सम’ शब्द का मतलब ही संस्कृत शब्द। तत्सम शब्द उन शब्दों को कहते हैं जो संस्कृत भाषा से आए हैं। संस्कृत भाषा से इनकी उत्पत्ति हुई है।

      * संस्कृत भाषा की लिपि भी देवनागरी है।

      * सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है।

     उदा. अग्नि, वायु, जल, मृग, पुष्प, स्वप्न, कर्म, वानर, हस्त, दंत, अश्रु, पत्र, पुत्र, जिह्वा, नृत्य, सर्प आदि।

 

२)    तद्भव शब्द (संस्कृत का हिंदी रुपांतरण)

तत्सम शब्द या संस्कृत के मूल शब्दों का हिंदी में रुपांतरण मतलब ही तद्भव शब्द है।

उदा. अग्नि-आग, वायु-हवा, जल-पानी, मृग-हिरण, पुष्प-फ़ूल, स्वप्न-सपना, कर्म-काम, वानर-बंदर, हस्त-हाथ, दंत-दाँत, अश्रु-आँसू, पत्र-पत्ता, जिह्वा-जीभ, नृत्य-नाच, सर्प-साँप ।  

 

३)    देशज या देशी शब्द

देशज शब्दों की उपत्ति देश की विभिन्न बोलियों तथा प्रादेशिक भाषाओं से हुई है। यह शब्द ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर निर्माण हुए हैं।

उदा. जूता, खिड़की, मसाला, गरीब, पैसा, बाबा, टोपी, थाली, पगड़ी आदि।

 

४)   आगत या विदेशी शब्द

जो शब्द विदेशी भाषाओं से आए हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। जैसे- अंग्रेजी, तुर्की, अरबी-फ़ारसी, पोर्तुगाली, चीनी।

उदा. कॉलेज, डॉक्टर, रेडियो, बैंक, जहाज़, कत्ल, औलाद, चीनी, तंबाकू, तनख़्वाह, मुफ़्त, अक्ल, सौगात, चाबी ।

 

 

इ)  रचना के आधार पर

      रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद देखने मिलते हैं। इसमें शब्दों के स्वरुप को ध्यान में                रखकर इनका अलग-अलग वर्गीकरण किया है।

१)     रुढ़ शब्द

२)    यौगिक शब्द

३)    योगरुढ़ शब्द

 

         (ट्रिक- रचना को मैंने योग(यौगिक) करने के लिए दो शब्द क्या कहे, वह मुझसे व योग से रुठ(योगरुढ़)                       गई।)

 

१)    रुढ़ शब्द

जिन शब्दों के टुकडे करने पर दोनों का भी अर्थ नहीं निकलता, उन शब्दों को रुढ़ शब्द कहते हैं। यह अधिकतर दो या तीन अक्षरों से बनते हैं।

उदा. आम, नाक, कमल, घर, माता, पिता, गधा, गमला, संतरा, दूध।

 

२)    योगिक शब्द

जिन शब्दों के टुकडे़ करने पर एक का अर्थ तो कभी-कभी दोनों का अर्थ निकलता है। इन शब्दों का निर्माण एक या एक से अधिक शब्दों के योग से हुआ है इसलिए इन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।

उदा. प्रधानमंत्री-प्रधान+मंत्री, कालीमिर्च-काली+मिर्च, राष्ट्रपिता- राष्ट्र+पिता, धनवान- धन+वान,

        सुकुमार-सु+कुमार, अनपढ़-अन+पढ़, घुड़सवार- घोड़ा+सवार, मित्रता- मित्र+ता।

 

३)    योगरुढ़ शब्द

दो से अधिक शब्दों से मिलकर योगरुढ़ शब्द बनते हैं लेकिन दो अलग-अलग शब्द मिलने पर वे वास्तविक अर्थ न देकर किसी और विशेष/दूसरे अर्थ की ओर संकेत करते हैं, उन्हें योगरुढ़ शब्द कहते हैं।

                     नोट * इन शब्दों में अधिकतर देवी-देवताओं के नाम आते हैं।

                            * बहुव्रीहि समास के उदाहरण इसमें आते हैं।

                     उदा.  लंबा+उदर = लंबोदर (गणेश), दस+आनन= दशानन (रावण),  

                              श्वेत+अंबर=श्वेतांबर(सरस्वती), महा(महान)+देव= महादेव (शंकर)

                              महा(महान)+ वीर= महावीर (हनुमान) 

 

ई)   प्रयोग के आधार पर 

प्रयोग के आधार पर शब्द के मुख्य दो भाग किए गए हैं।

१)     विकारी शब्द

२)    अविकारी शब्द

 

ट्रिक- रोग (विकार)को बरा करने (अविकारी) के लिए प्रयोग करने पड़ते हैं। 

 

१)    विकारी शब्द

जिन शब्दों के रुप में परिवर्तन होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। ये शब्द लिंग, वचन, कारक तथा काल के अनुसार बदलते हैं। विकारी शब्द चार प्रकार होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया।

 

१)    संज्ञा- नारी का नारियाँ या नारियों होता है।

         कुत्ता- कुत्ते, कुत्तों

         संत्रा- संत्रे, संत्रों

         गुलदस्ता- गुलदस्ते, गुलदस्तों

 

२)    सर्वनाम- हम का हमें, हमारा होता है।

              तुम    - तुम्हारा, तुम्हें, तुमको

              मैं      - मुझे, मेरा, मेरी

              इसका – इनका, इनको, इनकी

 

३)    विशेषण – बड़ा का बड़ी, बड़े, बड़ों होता है।

                छोटा -छोटी, छोटे, छोटों

                साधा- साधी, साधे

                अच्छा- अच्छी, अच्छे, अच्छों

 

४)   क्रिया -     खिला का खिलाया, खिलायी, खिलाये होता है।

                खाया   - खिलाया, खिलवाय।

                समझा  - समझाया, समझवाया, समझ।

                पढ़ा     - पढ़ाया, पढ़ाये, पढ़वाये।

 

२)       अविकारी शब्द – जो शब्द लिंग, वचन, काल तथा कारक के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें                                       अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्द के ५ प्रकार होते हैं। 

 

१)     क्रियाविशेषण – क्रिया के पहले जो शब्द आते हैं, वे क्रियाविशेषण होते हैं।

                        मोहन धीरे-धीरे जा रहा है।         (जा रहा है) क्रिया

                        रमा धीरे-धीरे जा रही है। 

                        घोड़ा बाहर भागता है।                (भागता है) क्रिया

                        घोड़ी बाहर भागती है।

 

२)    संबंधबोधक –  ‘का, की, के’ साथ ये शब्द जुड़कर आते हैं।

                       बेटा पिताजी के साथ खाना खाता है।

                       बेटी पिताजी के साथ खाना खाती है।

                       राजा महल की ओर जा रहे थे।

                       रानी महल की ओर जा रही थी।

 

३)    समुच्चयबोधक-ऐसे शब्द जो दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं, वे समुच्चयबोधक होते हैं।                          जिन वाक्यों में और, लेकिन, किंतु, परंतु, तथा, या, इसलिए, क्योंकि, कि,                            ताकि, जो-सो, जब-तब , जिसकी-उसकी,जैसी-वैसी (‘ज’ से शुरु होने वाले                        शब्द आते हैं) ऐसे शब्द आते हैं, उसे समुच्चयबोधक कहते हैं।

 

                      उदा. मैं और मोहन गाँव जा रहे थे।

                              तुम आते हो या मैं जाऊँ।

                              जब पढ़ाई करोगे तब पास हो जाओगे।

                              जैसी करनी वैसी भरनी।

                              उसने कहा कि वह कल विद्यालय नहीं आएगा।

 

४)    विस्मयादिबोधक- जिन वाक्यों में विस्मयसूचक चिह्न (!) होता है, वे विस्मयादिबोधक शब्द

                          होते हैं।      

                   

                          उदा. हे! भगवान यह क्या हुआ?

                                 अरे! मोहन थोड़ा इधर तो आना।

                                  वाह! क्या गाना गाया।

                                 शाब्बाश! ऐसे ही मेहनत करते रहना।


५)   निपात- जिन वाक्यों में ही, भी, तो, केवल आदि शब्दों का प्रयोग जिन वाक्यों में हो, उसे                 निपात कहते हैं।


                 उदा.  राजू ही यह काम कर सकता है।

                         तुम तो बहुत होशियार हो।

                         शिक्षक भी वही पढ़ा रहे थे।

                         हेमंत के पास केवल पाँच रुपये हैं।


निष्कर्ष- शब्द- विचार इस व्याकरणिक पाठ द्वारा हिन्दी भाषा में बहुत सारे शब्द आए हैं। आपको अलग-अलग जगह कम-अधिक शब्द देखने मिलेंगे लेकिन यहाँ पर आपको उन शब्दों को समझने व सरलता से ध्यान में रखने के लिए ट्रिक के साथ समझाने का प्रयास किया है। आप को ट्रिक द्वारा इन शब्दों को ध्यान  रखने योग्य मदद हो रही है या नहीं, कृपया कमेंट करके बताएँ। साथ ही आपको किसी अन्य व्याकरणिक पाठ के ट्रिकी नोटस की आवश्यकता है तो कमेंट करके बताए। धन्यवाद

            

 

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